
बेगूसराय को मिलने जा रही ऐतिहासिक सौगात, दिनकर विश्वविद्यालय की स्थापना का ऐलान – उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी
📍 परिचय: बिहार के शैक्षणिक नक्शे पर नया इतिहास बनने जा रहा है
बिहार के साहित्यिक और सांस्कृतिक इतिहास में एक नई इबारत लिखी जाने जा रही है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने ऐलान किया है कि राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की जन्मभूमि बेगूसराय में उनके नाम पर एक विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी। यह विश्वविद्यालय न केवल बिहार के छात्रों को शिक्षा का एक नया केंद्र देगा, बल्कि साहित्य और संस्कृति को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएगा। ###
🎤 ऐलान का मंच: दिनकर शोध संस्थान का कार्यक्रम बना ऐतिहासिक
यह ऐलान दिनकर शोध संस्थान के एक विशेष प्रतिज्ञा कार्यक्रम के दौरान किया गया, जिसमें उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के साथ-साथ राज्य और केंद्र सरकार के कई मंत्री, विधायक और वरिष्ठ नेता मौजूद थे। समारोह का उद्देश्य राष्ट्रकवि दिनकर की स्मृति और योगदान को सम्मानित करना था, लेकिन इसका परिणाम ऐतिहासिक घोषणा के रूप में सामने आया।
🏫 2025 तक बनकर तैयार होगा दिनकर विश्वविद्यालय
उपमुख्यमंत्री ने मंच से साफ तौर पर कहा कि दिनकर विश्वविद्यालय के निर्माण की योजना को मंजूरी मिल चुकी है। बिहार सरकार ने इसके लिए 350 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। निर्माण कार्य 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा। इस विश्वविद्यालय से 12 लाख से अधिक छात्रों को शैक्षणिक लाभ मिलने की उम्मीद है। यह विश्वविद्यालय साहित्य, सामाजिक विज्ञान, इतिहास, और हिंदी भाषा के क्षेत्र में उच्चस्तरीय शोध और शिक्षा का केंद्र बनेगा।
🧠 राष्ट्रकवि दिनकर की कविताएं आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा हैं – नित्यानंद राय
कार्यक्रम में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि दिनकर जी की कविताएं सिर्फ साहित्य नहीं, बल्कि एक वैचारिक क्रांति हैं। उन्होंने कहा,
"दिनकर की कविताएं युवाओं को न केवल प्रेरणा देती हैं, बल्कि उन्हें लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी करती हैं।"
उनकी रचनाएं आज भी देशभक्ति, संघर्ष और आत्मबल की मिसाल मानी जाती हैं।
💬 सम्राट चौधरी ने जनता से मांगा समर्थन
उपमुख्यमंत्री ने मंच से ये भी अपील की कि दिनकर विश्वविद्यालय की स्थापना में जनता का सहयोग जरूरी है। उन्होंने कहा कि ये सपना तभी साकार होगा जब केंद्र और राज्य दोनों सरकारें एक साथ मिलकर काम करें और जनता का समर्थन प्राप्त हो।
📚 बिहार को मिलेगा साहित्यिक राजधानी का दर्जा
दिनकर विश्वविद्यालय की स्थापना बिहार को एक साहित्यिक राजधानी के रूप में स्थापित कर सकती है। इससे न केवल प्रदेश के छात्रों को स्थानीय स्तर पर उच्च शिक्षा का अवसर मिलेगा, बल्कि पूरे भारत से छात्र यहां शोध और पढ़ाई के लिए आएंगे।
👥 कार्यक्रम में मौजूद रहे कई प्रमुख नेता
इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में राज्य और केंद्र सरकार के कई दिग्गज नेता मौजूद रहे:
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नंदकिशोर यादव – सांसद
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दिलीप जायसवाल – भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष
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डॉ. संजय जायसवाल – पूर्व प्रदेश अध्यक्ष
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विवेक ठाकुर – सांसद
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मुकेश रजक – विधायक
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प्रो. चंद्रमोहन कुमार – कुलपति
सभी नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया और इसे "बिहार की शिक्षा व्यवस्था के लिए मील का पत्थर" बताया।
📌 निष्कर्ष: एक नए युग की शुरुआत
दिनकर विश्वविद्यालय की घोषणा केवल एक शैक्षणिक संस्थान की घोषणा नहीं है, बल्कि यह बिहार के साहित्यिक और सांस्कृतिक उत्थान की दिशा में एक ठोस कदम है। यह विश्वविद्यालय आने वाले वर्षों में देशभर के विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए एक प्रेरणा बनेगा।
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