स्कूली बच्चों पर खर्च हुए 12 अरब का कोई हिसाब नहीं, शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में
बिहार में स्कूली बच्चों की योजनाओं पर खर्च हुए 12 अरब का नहीं मिला हिसाब
मुजफ्फरपुर: बिहार के शिक्षा विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है, जहां राज्य के 38 जिलों में स्कूली बच्चों पर खर्च किए गए 12 अरब रुपये का कोई ठोस लेखा-जोखा नहीं मिल पाया है।
यह राशि वर्ष 2011-12 से लेकर 2018-19 के बीच छात्रवृत्ति, पोशाक, साइकिल और अन्य योजनाओं के अंतर्गत दी गई थी। शिक्षा विभाग ने संबंधित जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) और डीपीओ (DPO) से स्पष्टीकरण मांगा है।
📌 कहां गई राशि? नहीं हैं कोई पुख्ता कागजात
जिन बच्चों को योजनाओं का लाभ मिला, उनका रिकॉर्ड गायब है। स्कूल स्तर से लेकर जिला तक कोई भी स्पष्ट कागज या लाभार्थी सूची प्रस्तुत नहीं की जा सकी। खासतौर पर यह देखा गया है कि जिन बच्चों को लाभ मिला, उनके नाम, आधार, स्कूल नाम जैसी जानकारी दस्तावेजों में नहीं है।
🔍 मुजफ्फरपुर में 16 करोड़ से अधिक राशि का हिसाब अधूरा
केवल मुजफ्फरपुर जिले में ही 16 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की गई थी, जिसमें पोशाक और साइकिल योजना सबसे प्रमुख हैं। लेकिन न तो लाभार्थियों के दस्तावेज हैं, न स्कूल की उपस्थिति रिपोर्ट।
📊 जांच की तैयारी, शिक्षा विभाग सख्त
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि समय पर जवाब नहीं मिला, तो संबंधित पदाधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला अब जांच के घेरे में है और संभावित घोटाले की ओर इशारा करता है।
📌 निष्कर्ष
बिहार में शिक्षा योजनाओं की स्थिति पर यह खबर एक चेतावनी है। यदि योजनाओं में पारदर्शिता नहीं होगी, तो इसका असर सीधे छात्रों के भविष्य पर पड़ेगा। सरकार को अब जवाबदेही तय करनी होगी।
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