आधार अनिवार्यता के बाद 8.53 लाख छात्रों की मध्याह्न भोजन योजना से छुट्टी, जानें क्या है पूरा मामला
मध्याह्न भोजन योजना से 8.53 लाख छात्रों की छुट्टी, जानें क्यों आधार और एपार हुआ ज़रूरी
बिहार के सरकारी स्कूलों में चल रही मध्याह्न भोजन योजना (Mid-Day Meal Scheme) से इस वर्ष लगभग 8.53 लाख छात्रों का नाम कट गया है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है आधार और एपार (e-Par) की अनिवार्यता।
📉 क्यों घटी बच्चों की संख्या?
- अब छात्रों के नामांकन के लिए आधार और एपार जरूरी कर दिया गया है।
- पिछले वर्ष जिन छात्रों को योजना का लाभ मिल रहा था, उनमें से कई छात्रों का रजिस्ट्रेशन अधूरा या फर्जी था।
- शिक्षा विभाग ने ऐसे छात्रों को सूची से बाहर कर दिया है, जिनका पूरा डिजिटल सत्यापन नहीं हो पाया।
📊 जिलेवार आंकड़े: कहां सबसे ज्यादा गिरावट?
नीचे उन टॉप 10 जिलों की सूची दी गई है जहां छात्रों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई:
क्रम | जिला | घटे छात्र |
---|---|---|
1 | नालंदा | 66545 |
2 | बक्सर | 63885 |
3 | पूर्वी चंपारण | 58399 |
4 | पूर्णिया | 52145 |
5 | सिवान | 50343 |
6 | सीतामढ़ी | 50048 |
7 | समस्तीपुर | 49455 |
8 | सुपौल | 33001 |
9 | पटना | 32829 |
🧾 एपार और आधार क्यों हुआ अनिवार्य?
एपार (Permanent Academic Register) एक डिजिटल आईडी है, जो एक छात्र की पूरी शैक्षणिक यात्रा को ट्रैक करता है। आधार और एपार की अनिवार्यता से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि केवल वास्तविक और उपस्थित छात्र ही सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं।
🏫 सरकारी योजनाओं के लिए गलत नामांकन?
शिक्षा विभाग का मानना है कि पहले बहुत से छात्रों को केवल सरकारी लाभ पाने के उद्देश्य से स्कूलों में नामांकित किया गया था। अब डिजिटल सत्यापन से ऐसे मामलों पर लगाम लगाई जा रही है।
📌 निष्कर्ष
हालांकि इस कदम से पारदर्शिता और गड़बड़ी पर रोक संभव हो सकेगी, लेकिन साथ ही जरूरतमंद छात्रों तक योजना का लाभ पहुंचाना भी जरूरी है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि तकनीकी कारणों से कोई बच्चा योजना से वंचित न रह जाए।
क्या आपके जिले में भी छात्रों की संख्या घटी है? नीचे कमेंट करें और अपने विचार साझा करें।
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