बिहार में आठवीं तक के 65 लाख बच्चे स्कूल से दूर, जुलाई में सिर्फ 55-60% उपस्थिति
मुजफ्फरपुर: बिहार में बच्चों को आठवीं तक स्कूल पहुंचाने के प्रयासों के बावजूद बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ाई से वंचित हैं। हालिया आंकड़ों के अनुसार, राज्य में आठवीं तक के 65 लाख बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। सरकारी स्कूलों में जुलाई महीने में बच्चों की उपस्थिति केवल 55-60 प्रतिशत रही।
जिला-वार स्थिति
राज्य के सभी जिलों में पहली से आठवीं तक के एक से चार लाख बच्चे जुलाई में स्कूल नहीं पहुंचे। मध्याह्न भोजन निदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई में नामांकित बच्चों की संख्या और स्कूल आने वाले बच्चों की संख्या में भारी अंतर है।
- 57 लाख छठी से आठवीं तक के बच्चे नामांकित, लेकिन केवल 25 लाख बच्चे स्कूल पहुंचे।
- पहली से पांचवीं तक एक करोड़ से अधिक बच्चे नामांकित, उपस्थिति केवल 40 लाख।
माता-पिता का पलायन
एनसीईआरटी के अध्ययन में पाया गया है कि माता-पिता के रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। अक्सर ऐसे बच्चों को स्थानीय स्तर पर भी रोजगार में लगा दिया जाता है, जिससे पढ़ाई छूट जाती है।
स्कूल जाने में रुचि की कमी
शिक्षा विभाग के अनुसार, कई बच्चे स्कूल को मनोरंजक नहीं मानते और वहां जाने में रुचि नहीं लेते। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के लिए रचनात्मक गतिविधियों और खेल-कूद की कमी भी इसका एक कारण है।
बच्चों को स्कूल लाने की योजनाएं
- आठवीं तक के बच्चों के लिए मुफ्त पाठ्यपुस्तक और वर्दी।
- प्रत्येक बच्चे को पोषण के लिए राशि का प्रावधान।
- हर कक्षा के बच्चों को छात्रवृत्ति।
- कोर्स के साथ खेल-कूद और रचनात्मक गतिविधियां।
- कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में छात्राओं के लिए मुफ्त रहना-खाना।
निष्कर्ष
राज्य में स्कूल से दूर बच्चों की संख्या चिंताजनक है। बेहतर नीतियों, अभिभावकों की जागरूकता और स्कूलों को बच्चों के लिए अधिक आकर्षक बनाने के प्रयास ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकते हैं।